BA Semester-5 Paper-2 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 7
गढ़वाल एवं गुलेर शैली
(Garhwal and Guler Painting)

प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गढ़वाल चित्रकला के विषय क्या हैं?
2. गढ़वाल चित्रकला का वर्ण संयोजन कैसा है?

उत्तर -

गढ़वाल चित्रकला के विषय और विशेषताएं महज सूचनात्मक नहीं रहे, वरन इससे तत्कालीन सामाजिक आर्थिक-धार्मिक एवं राजनीतिक स्थिति की प्रमाणिक जानकारियाँ भी. इतिहास लेखन की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हुई हैं।

गढ़वाल शैली के चित्र यद्यपि कांगड़ा के समान लघुचित्र है, किन्तु गढ़वाल शैली के चित्रों में आकृतियों को कांगड़ा शैली की अपेक्षा सरल और सपाट बनाया गया है। इसमें रेखायें अधिक बलवती और प्रवाहपूर्ण है। गढ़वाल शैली की आकृतियों में अधिकांश वक्रीय आकृतियों को अपनाया गया है। स्त्रियों की आकर्षक भावपूर्ण मुद्रायें रंगीन चित्रों में भी चित्रित की गई हैं। इसमें बड़े-बड़े कमल नेत्र, लम्बी सीधी नाक, गोल- चिबुक भावाभिव्यंजक हस्त मुद्रायें तथा अंग भंगिमायें गढ़वाल शैली की स्त्री आकृतियों की विशिष्टता है। पुरुषों के पहनावें में विशेषतया लम्बा जामा चुस्त, तथा पायजामा, पगड़ी पटका आदि बनाये गये हैं।

गढ़वाल शैली के अधिकाश चित्रों में प्रकृति को विशेष महत्व दिया गया है। पर्वतों का पृष्ठभूमि में चित्रांकन किया गया है। दृश्य चित्रण की यह पद्धति बहुत न कुछ मुगल शैली को व्यक्त करती है। चित्रकारों का चित्रण विषय भागवत पुराण, रामायण, बिहारी सतसई, मतिराम तथा रागमाला प्रमुख है। इन विषयों के अतिरिक्त चित्रकारों ने अनेक देवी-देवताओं के चित्रों का निर्माण किया है। यहां रुकमणी, मंगल, नल, दमयन्ती, गीत-गोविन्द नायिका भेद, दशावतार अष्ट दुर्गा, कामसूत्र, शिव पुराण आदि पर भी चित्र बनाये गये हैं।

पहाड़ी कला के उच्च कोटि के मान्य पारखियों में गढ़वाल चित्रकला को मान्यता सबसे पहले डॉ. आनन्द कुमार स्वामी ने दी, जिन्हें मुकन्दीलाल ने अपने संग्रह से 6 चित्र प्रदान किये थे। इनके अध्ययन के आधार पर उन्होंने सन् 1916 ई. में अपनी पुस्तक राजपूत पेंटिंग में लिखा कि गढ़वाल चित्रकला कांगड़ा और उसके निकटवर्ती पहाड़ी रियासत पटियाला आदि से मिलती जुलती है। गढ़वाल चित्रकला की प्रसिद्धि का कारण यह है कि मौलाराम और उसके पूर्वजों के बनाये हुए कई रंगीन चित्र और रेखाचित्र गढ़वाल में पाये गये है। इसी प्रकार अंग्रेज कलापारखी और समीक्षक मि. आर्चर ने अपनी पुस्तक गढ़वाल पेन्टिंग में 10 रंगीन चित्र गढ़वाल चित्रकला के देते हुए लिखा है कि गढ़वाल में एक वैसी ही सुन्दर रसीली लावण्यमय, रोमांचक और चित्ताकर्षक शैली का विकास हुआ, जैसी पंजाब की एक अन्य पहाड़ी रियासत कांगड़ा में विकसित हुई। भारतीय चित्रकला को गढ़वाल के चित्रकारों से एक महानतम देन मिली है।

मौलाराम के बाद इस चित्रकला के पतन के चिन्ह तथा उस पर पाश्चात्य कला का प्रभाव शनैः शनैः चित्रों पर दिखाई देने लगा था। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में भारतीय चित्रकला पर पाश्चात्य कला का प्रभाव पड़ना प्रारम्भ हो गया था। गढ़वाल शैली भी इससे अछूती नहीं रही। शिवराम की बनाई हुई सलेमान शिकोह की छवि, ज्वालाराम के महादेव पार्वती और बद्रीनाथ-केदारनाथ के यात्रा पथ के नगरों के चित्र तथा उसके बनाये हुये पक्षियों तथा फूलों के चित्रों में और तुलसीराम के प्राकृतिक दृश्यों के चित्रण में पाश्चात्य प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

गढ़वाल चित्रकला के लुप्त हो जाने के मुख्य कारणों में चित्रकारों के गुण ग्राहकों का नितान्त अभाव का होना था। इसकी ओर उत्तराखण्ड पर गोरखा आधिपत्य ( 1803 से 1815) एवं तत्पश्चात अंग्रेजी शासन के नियंत्रण में आने के उपरान्त टिहरी और ब्रिटिश गढ़वाल के विभाजन से श्रीनगर कला केन्द्र नष्ट हो गया था, क्योंकि गोरखा और अंग्रेज प्रशासकों ने कलाकारों को प्रश्रय देने के स्थान पर उनके खादान की जागीरें छीन कर उनका गुजारा बन्द कर दिया था। स्वयं मोलाराम का पुत्र ज्वालाराम कुमाऊ कमिश्नर सर हेनरी रामजे का अहलमद नियुक्त हो गया था, यद्यपि वह निजी स्तर पर चित्रकारी भी करता रहा। उसके अन्य भाई अजबराम आदि भी घर छोड़ कर बिखर गये थे। मौलाराम के वंशज जो श्रीनगर में रह गये थे, वे सोना, चांदी का काम करने लगे। इस प्रकार धीरे-धीरे इस कला का लोप हो गया।

इस चित्रकला के लोप होने के कारणों में यह भी उल्लेखनीय है कि कलापक्ष की गूढ़ बातें, प्राविधिक मर्म एवं रंग तैयार करने की विधि का मोलाराम ने अपने लड़को अथवा शिष्यों को नहीं बताया। एक और अन्य कारण यह भी था कि ज्वालाराम के बाद जो चित्रकला से जुड़े रहे उनमें से कुछ विक्षिप्त होने लगे थे। उनके पागलपन का सम्बन्ध चित्रकला से माना गया, इसी कारण उनके वंशजों ने वंशानुगत मुगल-गढ़वाल सांस्कृतिक सम्बन्धों से जन्मी गढ़वाल चित्रकला शैली को छोड़ कर चित्रकला जगत से ही नाता तोड़ दिया। कहा जा सकता है कि गढ़वाली चित्रकला शैली की खोज से, भारतीय चित्रकला में इस शैली के स्वतंत्र अस्तिव से कला पारखी अवगत हो सके। इस प्रयास में वैरिस्टर मुकन्दीलाल के योगदान को भुलाना कठिन है, जिनके अथक प्रयासों से इस शैली से देश के कला मर्मज समीक्षक एवं पारखी अवगत हो सके थे। निसन्देह मुकन्दीलाल द्वारा संकलित गढवाल चित्रकला का संग्रह हमारी कला-संस्कृति के साथ ललित कलाओं के, इतिहास की जानकारी देने वाला प्रमाणिक ग्रन्थ भी बन गया है।

गढ़वाल शैली की प्रमुख विशेषताएँ

1. दृश्य चित्रण - गढ़वाल शैली में दृश्य चित्रण बहुत सुन्दर हुआ है नदी, पहाड़ आदि बहुत आकर्षक बने हैं। फूलों से लदे पेड़ों ने तो दृश्य चित्रण को और भी सुन्दरता प्रदान कर. दी है। क्षितिज विशेष प्रकार का बहुत ऊँचा बना है परन्तु बसोहली के क्षितिज की तरह एक नीली पट्टी न होकर कुछ वक्राकार है तथा बादलों को भी पुट कलात्मकता से दिया गया है। दृश्य चित्र की सजीवता प्रदान करने के लिए यथास्थान पशु-पक्षियों का भी अंकन है।

2. नारी सौदर्य - गढ़वाल में नारी का विशेष चित्रण हुआ है जो अन्य पहाड़ी शैलियों से अधिक सुन्दर है। यहाँ नारी को छरहरे बदन का, सुडौल तथा बहुत ही आकर्षक बनाया गया है। बहुत कलात्मक आभूषणों से उसे अलंकृत किया गया है तथा झीने वस्त्रों से सुसज्जित किया गया है।

3. रेखा सौन्दर्य - रेखाओं में काँगड़ा शैली वाली तो परिपक्वता नहीं है परन्तु ये लयात्मक तथा संगीतमय है।

4. छाया प्रकाश - छाया प्रकाश कुछ इस प्रकार का है कि कहीं-कहीं गम्भीर तथा उदास वातावरण का आभास होता है, जो कि काँगड़ा में नहीं है।

5. भाव प्रदर्शन - भाव प्रदर्शन में गढ़वाल का कलाकार पूर्णतया सफल हुआ
6. व्यक्ति चित्र -अन्य पहाड़ी शैलियों की तरह गढ़वाल में भी व्यक्ति चित्रण सुन्दर हुआ है।

7. चन्दन टीका - गढ़वाल शैली की एक प्रमुख विशेषता है वहाँ का चन्दन टीका । मुख्यतः मौलाराम के चित्रों में उच्च कुल की महिलाओं के माथे पर एक वक्राकार चन्दन का टीका लगा हुआ है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

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